ग्रीन इंडिया मिशन की शुरुआत कब की गई ? Green India mission 20 February 2014

Green India mission 20 February 2014


चर्चा में क्यों?

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वनीकरण और हरित क्षेत्र का दायरा बढ़ाए जाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा गया है कि बाँस के क्षेत्र को प्रोत्‍साहित करने के लिये पुनर्गठित राष्‍ट्रीय बाँस मिशन के तहत 1290 करोड़ रुपए मंज़ूर किये गए हैं। आपको बता दें कि वर्ष 2018-19 के बजट में पर्यावरण क्षेत्र के लिये आवंटन में वृद्धि की गई है। ग्रीन इंडिया मिशन (राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम) के लिये बजट में पिछले वर्ष की तुलना में 48.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

ग्रीन इंडिया मिशन

  • 20 फरवरी, 2014 को केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन को एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शामिल करने के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। 
  • इस मिशन के तहत 12वीं पंचवर्षीय योजना में लगभग 13,000 करोड़ रुपए के निवेश से वनावरण में 6 से 8 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
  • यह मिशन जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना के अंतर्गत आने वाले मिशनों में से एक है। 
  • यह मिशन जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना में प्राथमिकता वाले निम्नलिखित 8 राष्ट्रीय मिशनों पर ध्यान केंद्रित करता है: 
    1. सौर ऊर्जा
    2. ऊर्जा क्षमता बढ़ाना
    3. टिकाऊ विकास
    4. जल संरक्षण
    5. हिमालयी पारिस्थतिकीय तंत्र को टिकाऊ बनाना
    6. ग्रीन इंडिया
    7. टिकाऊ कृषि
    8. जलवायु परिवर्तन के ज्ञान का रणनीतिक मंच।
  • ग्रीन इंडिया मिशन 2021-2030 के लिये निर्धारित राष्‍ट्रीय लक्ष्‍यों को पूरा करने के प्रयासों में तेज़ी लाने में मदद करेगा। 
  • इस साल बजट में इको टास्‍क फोर्स के लिये 67.50 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जो कि पिछले बजट की तुलना में 125 प्रतिशत अधिक है।

वृक्षारोपण हेतु पहल

  • जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये नई पहल की गई है। इसके तहत 2021 से 2030 के बीच 1000 करोड़ वृक्ष लगाने की योजना है।
  • वृक्षारोपण का यह काम देश के अलग-अलग हिस्‍सों में कैम्‍पा, ग्रीन इंडिया मिशन और राष्‍ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम के तहत किया जाएगा। इसमें राजमार्गों और रेलवे लाइनों के कि‍नारे बड़ी सख्‍या में वृक्ष लगाए जाएंगे।

वन्य जीवों, जैव विविधता आदि के संरक्षण के संदर्भ में

  • पर्यावरण के प्रति जागरूकता के महत्त्व को रेखांकित करते हुए इस बार बजट में पर्यावरण सूचना प्रणाली (ईएनवीआईएस) के लिये 2017-18 के बजट की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक यानी 24 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। इससे हरित कौशल विकास कार्यक्रम (जीएसडीपी) का भी वित्‍त पोषण किया जाएगा।
  • जीएसडीपी के तहत युवाओं को जैव विविधता संरक्षण, कच्‍छ वनस्‍पति क्षेत्रों के संरक्षण, प्रदूषण निगरानी (हवा, जल, ध्‍वनि/मिट्टी), कचरा निपटान, वन प्रबंधन तथा वन्‍य जीवों और जलीय जीवों के संरक्षण तथा बाँस उत्‍पादन क्षेत्रों के प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि जीएसडीपी के तहत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का पहला मॉडल 4 जून 2017 को विश्‍व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जारी किया गया था।
  • जीएसडीपी के पायलट योजना के तहत 94 युवाओं को जैव विविधता संरक्षकों  के तौर पर प्रशिक्षित किया जा चुका है।
  • वर्ष 2018-19 से 2020-21 के दौरान इस कार्यक्रम के तहत 5 लाख 60 हज़ार लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • इस बार बजट में पर्यावरण क्षेत्र के लिये उत्कृष्टता केंद्रों के वास्‍ते 20 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है।
  • वन्‍य जीवों के पर्यावास विकसित करने के लिये 10 प्रतिशत अधिक यानी 175 करोड़ रुपए दिये गए हैं।
  • जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिये भी 10 प्रतिशत अधिक यानी 66 करोड़ रुपए निर्धारित किये गए हैं।
  • इसके साथ ही इस बार बजट में बाघ परियोजना के लिये 350 करोड़ रुपए तथा हाथी परियोजना के लिये 9 प्रतिशत अधिक यानी 30 करोड़ रुपए दिये गए हैं।  

वायु प्रदूषण के संदर्भ में 

  • वायु प्रदूषण के मामले में खराब रिकॉर्ड रखने वाले 100 शहरों में इस समस्‍या से निपटने के सरकारी प्रयासों को रेखांकित करते हुए ऐसे हर शहर में वायु प्रदूषण का स्‍तर अगले तीन वर्षों में 35 फीसदी तथा अगले पाँच वर्षों में 50 फीसदी के स्‍तर तक कम करने का लक्ष्‍य रखा गया है।
  • यह काम नेशनल क्‍लीन एयर प्रोग्राम के तहत किया जाएगा।
  • इसमें निगरानी तंत्र का विस्‍तार, वायु प्रदूषण के मानव स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्‍ययन, वायु गुणवत्‍ता सूचना प्रणाली विकसित करने, प्रदूषण निगरानी संस्‍थाओं का प्रमाणन तथा वायु प्रदूषण को रोकने के लिये अन्‍य कई प्रकार के अध्‍ययन और प्रबंधन कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
  • इनमें अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग लिया जाएगा और विदेशों में इस बारे में हो रहे बेहतरीन प्रयोगों से सीख ली जाएगी।
  • इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटने के लिये नदियों को साफ करने, नदी थाला क्षेत्र में वनों को समृद्ध बनाने तथा नदी के जलग्रहण क्षेत्रों को प्रदूषण मुक्‍त करने का काम भी किया जाएगा।
  • 2018-19 के बजट में नमामी गंगे, पराली जलावन रोकने, उज्‍ज्‍वला योजना और सौभाग्‍य योजना के तहत अन्‍य मंत्रालयों को किये गए आवंटन से पर्यावरण मंत्रालय को परोक्ष लाभ मिलेगा।  

जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में

  • बजट के अतिरिक्त आर्थिक सर्वेक्षण में भी सतत् विकास, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन प्रखंड, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया गया। 
  • जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भारत की प्रतिबद्धता सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से स्पष्ट होती है।
  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पेरिस घोषणा पत्र में उत्सर्जन स्तर को 2030 तक 33-35 प्रतिशत (2005 का स्तर) करने का लक्ष्य रखा गया है। यही कारण है कि समानता और सहभागी सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए भारत ने जलवायु परिवर्तन के खतरे की जवाबी कार्रवाही प्रणाली को सशक्त बनाया है।

जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता के संदर्भ में

  • जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता के संदर्भ में सर्वेक्षण ने 8 वैश्विक प्रौद्योगिकी निगरानी समूहों के गठन का उल्लेख किया है।
  • इससे जलवायु परिवर्तन कार्य योजना जो 2014 में शुरू हुई थी, को 2017-18 से 2019-20 तक का विस्तार दिया गया है। इसके लिये 132.4 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई है।
  • राष्ट्रीय अनुकूलन कोष को भी 31 मार्च, 2020 तक विस्तार दिया गया है। इसके लिये 364 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की गई है।

सतत् विकास के संदर्भ में

  • सतत् विकास के संदर्भ में सर्वेक्षण कहता है कि भारत की शहरी जनसंख्या 2031 तक 600 मिलियन हो जाएगी। 
  • हरी स्थानीय निकाय नगर पालिका बॉन्ड, सार्वजनिक निजी समझौता तथा क्रेडिट जोखिम गारंटी जैसे वित्तीय व्यवस्थाओं के माध्यम से संसाधन निर्माण करते हैं।
  • सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये आधार है- सतत्, आधुनिक और सस्ती ऊर्जा।
  • 30 नवंबर, 2017 तक कुल ऊर्जा क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 18 प्रतिशत था और यह पिछले 10 वर्षों में तीन गुना बढ़ा है।

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