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रूपक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित इस प्रकार है–
रूपक अलंकार– काव्य में जहां पर उपमेय और उपमान में एकरूपता आ जाए या जहां पर उपमेय का उपमान के साथ अभेद दिखाया जाए, वहां पर रूपक अलंकार होता है। यह अलंकार समास द्वारा, ''द्वारा या 'का ’के ' की द्वारा बताया जाता है!
रूपक अलंकार के उदाहरण-
१.नीलांबर परिधान हरित पट पर सुंदर है।
२. उदित उदयगिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग!
बिकते संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग।
३. जीवन की चंचल सरिता में, फेंकी मैंने मन की जाली!
४. मुख रूपी चांद पर राहु भी धोखा खा गया!
५. अंबर पनघट में डुबो रही, तारा घट उषा नागरी!
६. चरण सरोज पखारण लगा।
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